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Monday 31 August 2015

कभी भूल कर भी मत जाना

कभी भूल कर भी मत जाना मोहब्बत के जंगल में,
यहाँ साँप नहीं हमसफ़र डसा करते हैं।

इसे इत्तेफाक समझो या दर्द

इसे इत्तेफाक समझो या दर्द भरी हकीकत,
आँख जब भी नम हुई वजह कोई अपना ही था।

छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे

छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना;
जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है।

ख़ामोशियों के सिलसिले बढ़ते गए;

ख़ामोशियों के सिलसिले बढ़ते गए;
कारवाँ चलता रहा हम भी चलते गए;
ना उनको ख़बर, ना हमें उनकी फिकर;
ज़िंदगी जिस राह ले चली हम भी चलते गए।

मंज़िलों से ही गुमराह कर देते हैं

मंज़िलों से ही गुमराह कर देते हैं कुछ लोग,
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता। 

चाह कर भी पूछ नहीं

चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका,
डर है कहीं कह ना दे कि ये हक तुम्हें किसने दिया।

बदल जाओ भले तुम मगर

बदल जाओ भले तुम मगर ये ज़ेहन में याद रखना,
कहीं पछतावा ना बन जाये हमसे बेरुखी इतनी।

इश्क़ को भी इश्क़ हो तो

इश्क़ को भी इश्क़ हो तो फिर देखूं मैं इश्क़ को भी,
कैसे तड़पे, कैसे रोये, इश्क़ अपने इश्क़ में

नाकाम थीं मेरी सब कोशिशें

नाकाम थीं मेरी सब कोशिशें उस को मनाने की,
पता नहीं कहाँ से सीखी जालिम ने अदायें रूठ जाने की।

था जहाँ कहना वहां कह

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।

उम्र ने तलाशी ली तो

उम्र ने तलाशी ली तो जेबों से लम्हे बरामद हुए,
कुछ ग़म के, कुछ नम थे, कुछ टूटे, कुछ सही सलामत थे

मंज़िल पाना तो बहुत

मंज़िल पाना तो बहुत दूर की बात है,
गुरूर में रहोगे तो रास्ते भी ना देख पाओगे।

ये नज़र चुराने की आदत आज भी नहीं

ये नज़र चुराने की आदत आज भी नहीं बदली उनकी,
कभी मेरे लिए ज़माने से और अब ज़माने के लिए हमसे।ये नज़र चुराने की आदत आज भी नहीं बदली उनकी,
कभी मेरे लिए ज़माने से और अब ज़माने के लिए हमसे।

इस कश्मकश में उलझा है

इस कश्मकश में उलझा है दिल आपका,
पढ़ लिया है सब कुछ मगर जवाब नहीं आया कोई।

बहुत शख्स मिले जो

बहुत शख्स मिले जो समझाते थे मुझे,
काश! कोई मुझे समझने वाला भी मिलता।

किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल

किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम,
बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने विश्वास तोडा तो किसी ने दिल,
और लोगों को लगा कि बदल गए हम

तुझमें और मुझमे फर्क सिर्फ

तुझमें और मुझमे फर्क सिर्फ इतना सा है कि,
तेरा कुछ कुछ हूँ मैं और मेरा सब कुछ है तू।

गुमान ना कर अपने दिमाग

गुमान ना कर अपने दिमाग पर ऐ दोस्त,
जितना तेरे पास है उतना तो मेरा ख़राब रहता हैगुमान 

नफरत करने वाले भी गज़ब

नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं,
जब भी मिलते हैं कहते हैं तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।

हवा को कह दो कि खुद

हवा को कह दो कि खुद को आज़मा के दिखाए,
बहुत चिराग बुझाती है कभी एक जला के तो दिखाए।