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Saturday 29 August 2015

दिल में आप हो और कोई खास कैसे होगा

दिल में आप हो और कोई खास कैसे होगा;
यादों में आपके सिवा कोई पास कैसे होगा;
हिचकियॉं कहती हैं आप याद करते हो;
पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा।

कल तेरा जिक्र हुआ

कल तेरा जिक्र हुआ महफ़िल में,
और महफ़िल देर तक महकती रही।

मुझसे नफरत ही करनी है

मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना;
जरा से भी चूक हुई तो मोहब्बत हो जायेगी।

दिल अपने को एक मंदिर बना रखा है,

दिल अपने को एक मंदिर बना रखा है,
उस के अंदर बस तुझ को बसा रखा है,
रखता हूँ तेरी चाहत की तमन्ना रात दिन,
तेरे आने की उम्मीद का दिया जला रखा है।

उसे कह दो अपनी ख़ास

उसे कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे,
बेशक साँसें उसकी हैं मगर जान तो वो हमारी है।

आदत सी हो गयी है तेरे

आदत सी हो गयी है तेरे करीब रहने की,
बस इतना बता तेरी साँसों की खुशबू वाला इत्र मिलेगा कहाँ!

तुम्हारी आँखों में बसा है

तुम्हारी आँखों में बसा है आशियाना मेरा,
अगर ज़िन्दा रखना चाहो तो कभी आँसू मत लाना।

सजा है मौसम तुम्हारी

सजा है मौसम तुम्हारी महक से आज फिर;
लगता है हवायें तुम्हें छू कर आयी हैं

चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं

चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं;
मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं;
बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो;
इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं।

अगर तुम्हें यकीन नहीं तो

अगर तुम्हें यकीन नहीं तो कहने को कुछ नहीं मेरे पास,
अगर तुम्हें यकीन हैं तो मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।

इत्तेफ़ाक़ से ही सही मगर मुलाकात हो गयी;

इत्तेफ़ाक़ से ही सही मगर मुलाकात हो गयी;
ढूंढ रहे थे हम जिन्हें आखिर उन से बात हो गयी;
देखते ही उन को जाने कहाँ खो गए हम;
बस यूँ समझो दोस्तो वहीं से हमारे प्यार की शुरुआत हो गयी

सौ बार कहा दिल से चल

सौ बार कहा दिल से चल भूल भी जा उसको,
सौ बार कहा दिल ने तुम दिल से नहीं कहते।

चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,

चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,
झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,
जिंदगी वीरान थी और मौत भी गुमनाम ना हो,
मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो।

तेरे बिना टूट कर बिखर जायेंगे

तेरे बिना टूट कर बिखर जायेंगे;
तुम मिल गए तो गुलशन की तरह खिल जायेंगे;
तुम ना मिले तो जीते जी ही मर जायेंगे;
तुम्हें जो पा लिया तो मर कर भी जी जायेंगे।

फ़िज़ा की महकती शाम हो तुम,

फ़िज़ा की महकती शाम हो तुम,
प्यार में छलकता जाम हो तुम,
सीने में छुपाये फिरता हूँ यादें तुम्हारी,
इसलिए मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम

मोहब्बत मुझे थे उसी से सनम,

मोहब्बत मुझे थे उसी से सनम,
यादों में उसकी यह दिल तड़पता रहा,
मौत भी मेरी चाहत को न रोक सकी,
क़ब्र में भी यह दिल उसके लिए धड़कता रहा।

अब तक ख़बर न थी कि

अब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह है;
अब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

लिखा था राशि में आज

लिखा था राशि में आज खज़ाना मिल सकता है,
कि अचानक गली में सनम पुराना दिख गया।

होगी कितनी चाहत उस

होगी कितनी चाहत उस दिल में,
जो खुद ही मान जाये कुछ पल खफा होने के बाद।

मोहब्बत का कोई रंग नहीं

मोहब्बत का कोई रंग नहीं फिर भी वो रंगीन है,
प्यार का कोई चेहरा नहीं फिर भी वो हसीन है।