Sunday 23 August 2015

अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका........

अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका, दिलों के दरमियां यूँ मुफ्त में नहीं रहती, साल दर साल मै ही उम्र न देता इसको, तो ज़माने में मोहब्बत जवां नहीं रहती…

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