Monday 24 August 2015

ए पलक तु बन्द हो जा।

“ए पलक तु बन्द हो जा, ख्बाबों में उसकी सूरत तो नजर आयेगी इन्तजार तो सुबह दुबारा शुरू होगी कम से कम रात तो खुशी से कट जायेगी ”

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